News Video Quiz Tools More

Quiz Categories

General Knowledge Test Your IQ Islamic Knowledge Quiz Science Quiz History Quiz Fun Quiz

Tools & Utilities

Age Calculator Unit Converter QR Code Generator BMI Calculator Search Tool Love Calculator Wishes

Explore More

About Us Donate Us Privacy Policy Terms of Service Contact Advertise With Us Correction Policy Disclaimer Future Plan Writers
By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
NoorPostNoorPost
  • होम
  • न्यूज़
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • मुस्लिम दुनिया
  • इतिहास
    • मुस्लिम वैज्ञानिक
    • सामाजिक कार्यकर्ता
    • स्वतंत्रता सेनानी
    • उस्मानी साम्राज्य
    • जीवनी
  • वीडियो
  • ब्लॉग
  • मजहब
  • अन्य
    • खान-पान
    • स्वास्थ्य
    • शिक्षा
    • रोजगार
    • साइंस-टेक्नोलॉजी
      • मोबाइल
Sign In
नोटिफिकेशन और दिखाएं
Font Resizerआ
Font Resizerआ
NoorPostNoorPost
  • अंतरराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • मुस्लिम दुनिया
  • इतिहास
  • खान-पान
  • ब्लॉग
  • मजहब
  • रोजगार
  • वीडियो
  • शिक्षा
  • साइंस-टेक्नोलॉजी
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
Search
  • प्रमुख पेज
    • होम
    • संपर्क करें
    • गोपनीयता नीति
    • अस्वीकरण
    • सर्च करें
  • मेरी चीजें
    • सुरक्षित पोस्ट
    • मेरे लिए
    • पढ़े गए पोस्ट
    • पसंदीदा टॉपिक्स
    • पसंदीदा लेखक/लेखिका
  • Categories
    • मुस्लिम दुनिया
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • इतिहास
    • खान-पान
    • ब्लॉग
    • मजहब
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
    • रोजगार
    • वीडियो
    • साइंस-टेक्नोलॉजी
    • सोशल मीडिया
Sign In Sign In
Follow US
> इतिहास > स्वतंत्रता सेनानी > भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के एक वीर नायक बख्शी गुलाम मोइनुद्दीन खान

भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के एक वीर नायक बख्शी गुलाम मोइनुद्दीन खान

एо अहमद
एо अहमद
एо अहमद
लेखकएо अहमद
Founder and Editor
मैं आफताब अहमद इस साइट पर एक लेखक हूं, मुझे विभिन्न शैलियों और विषयों पर लिखना पसंद है। मुझे ऐसा निबंध और ब्लॉग लिखना अच्छा लगता...
Follow:
Published: 27/08/2024
1.9k लोगों ने देखा
No Comments
शेयर
7 मिनट में पढ़ें

गुलाम मोइनुद्दीन खान (Bakshi Ghulam Mohiuddin Khan) एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी हैं जिनका इतिहास में बहुत ज्यादा जिक्र नहीं मिलता है और आज उन्हें लगभग भुला सा दिया गया है लेकिन बख्शी गुलाम मोइनुद्दीन खान के स्वाभिमान और देशभक्ति की गौरवमयी गाथा को सुनकर और पढ़कर हर भारतीय गौरवान्वित महसूस करता है।

गुलाम मोइनुद्दीन खान में मातृभूमि की रक्षा एंव देशप्रेम की  भावना कूट कूट कर भरी थी जिसके चलते उन्होने अपनी जान की परवाह किए बगैर स्वतंत्रता सेनानियों की रक्षा और देश की स्वतन्त्रता के लिये अपने से ताकतवर अंग्रेजों और देश के गद्दारों से भिड़ गए।

हाईलाइट्स
  • गुलाम मोइनुद्दीन खान कौन थे?
  • सन् 1857 की क्रांति-

गुलाम मोइनुद्दीन खान कौन थे?

टोंक रियासत के पहले नवाब अमीरूद्दौला (1817 से 1834) के शासन काल में अफगानिस्तान से एक बक्षी परिवार निम्बाहेड़ा में आकर बसा, इस परिवार के दो भाई गुलाम मोइनुद्दीन खान व गुलाम गौस खान शामिल थे, दोनो जांबाज सिपाही थे तथा युद्धकलां, तोप निर्माण एवं तोप चालन में सिद्धहस्त थे।

जिस समय 1857 क्रांति का बिगुल बजा उस समय परगना निम्बाहेड़ा, रियासत टोंक के अधिकार में था । उस समय गुलाम मोइनुद्दीन खाँ परगना निम्बाहेड़ा पालोद के जागीरदार थे, साथ ही निम्बाहेड़ा रियासत टोंक में सेना के उच्चाधिकारी भी थे।

सन् 1857 की क्रांति-

1857 में अंग्रेजों के खिलाफ जन आन्दोलन का केंद्र दिल्ली था, लेकिन उसकी लपटे यहां और हिन्दुस्तान के हर हिस्से दिखाई दी ।
वजीर मोहम्मद खा इस समय टोंक रियासत का नवाब था। वह अंग्रेजों का वफादार था, अतः उसकी प्रजा, सेना तथा सगे संबंधियों ने विद्रोह कर दिया। नवाब के भाई साहबजादा मोहम्मद मुनीरखा तथा मामा हाफिज अमीर आलमखा व मामा अजीमुल्लाखां ने भी विद्रोह कर दिया। उसकी फौज ने उसे किले में कैद कर दिया परन्तु कुछेक स्वामीभक्त उसे छुड़ा लाए। नवाब ने रियासत में ऐलान कराया कि जो भी विद्रोही उसकी रियासत में आएगा उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

टोंक की फौज ने मुगल बादशाह की मदद करने दिल्ली जा रहे विद्रोहियों की आवभगत की तथा रसद दी। टोंक की फौज के बहुत से अफसर तथा सैनिक इन विद्रोहियों के साथ तथा अलग से भी, मुगल बादशाह की मदद करने दिल्ली चले गए। इन जाने वालों में प्रमुख थे मगलखा रिसालदार और उनके 117 सैनिक, सैयद अमानतशाह रिसालदार और उनके 153 सैनिक। 13 अगस्त को इनका अंग्रेजों के साथ जंग हुआ। 21 अगस्त तक इन डेढ़ हजार विद्रोहियों में से दिल्ली में केवल 200 रह गए थे। बाकी या तो मारे गए या तो इधर उधर या फिर टोंक वापस आ गए।

टोंक वापस आ चुके सैनिकों का पीछा करते हुए उन्हें पकड़ने के लिए आए अंग्रेज सैनिकों ने जब निंबाहेड़ा कस्बे के किले में घुसने की कोशिश की तो टोंक के हाकिम ने किले के सब दरवाजे बन्द करवा दिए तथा इन सैनिकों को नहीं घुसने दिया। हाकिम की इस कार्यवाही से अंग्रेज अफसर शावर्स बड़ा नाराज हुआ।

अतः 19 सितम्बर 1857 को कप्तान शावर्स नीमच मे कर्नल जेक्सन के साथ अंग्रेज सैनिकों की फौज लेकर निम्बाहेड़ा पहुंचा। वहां पहुंच कर उसने अपने एक चौबदार और चपरासी को कस्बे में भेजा और आमिल को बुलवाया। आमिल के हाजिर होने पर कप्तान ने हुक्म दिया कि निम्बाहेडा उसके कब्जे में दे दिया जाए तथा उसके सब सैनिक अपने-अपने शस्त्रों का समर्पण कर दें।

आमिल कस्बे में गया तथा अपने अफसरों और सैनिकों को बुलाकर शावर्स का हुक्म सुनाया। उन्होंने दोनों ही हुक्म मानने से मना कर दिया। ‘शावर्स ने अपने चौबदार को आमिल के पास फिर भेजा और कहा कि वह अब और अधिक इंतजार नहीं कर सकता। इस पर आमिल तथा बक्शी गुलाम मोहियुद्दीन अपने दो भाइयों के साथ कर्नल जेकसन के पास हाजिर हुए और कहा कि वे स्वयं तो अपने शस्त्र समर्पण करने के लिए तैयार हैं परन्तु सैनिकों ने शस्त्र देने से साफ मना कर दिया है। यहकह कर वे वापस कस्बे में चले गए।

कुछ समय बाद चौबदार व चपरासी पुनः शावर्स द्वारा भेजे गए और आमिल को कहलवाया कि यदि सैनिक उसके नियंत्रण में नहीं है तो वह स्वयं कप्तान के सामने तत्काल हाजिर होवे इससे सैनिकों में तत्काल रोष फैल गया। उन्होंने कस्बे के परकोटे के सब दरवाजे बन्द कर दिए । परकोटे पर तोपें चढ़ा दी गई। गुलाम मोहियुद्दीन ने चौबदार तथा चपरासी को कहा कि आमिल कप्तान के पास नहीं जाएगा।

इसके तत्काल बाद सैनिकों तथा चौबदार व चपरासी के बीच तलवारों से मुठभेड़ हो गई जिसमें चौबदार व चपरासी पायल हो गए। जान बचाकर भागे व एक मंदिर में रात होने तक छिप गए। गुलाम मोहियुद्दीन ने उन दोनों की इधर-उधर काफी तलाश की। रात होने पर चौबदार व चपरासी कुछेक स्थानीय लोगों की सहायता से परकोटा पार करके अंधेरे में कप्तान शावर्स के खेमे में पहुंचे।

कप्तान शावर्स ने सारी रात कस्बे के परकोटे को हल्की तोपों से तोड़ने की कोशिश परन्तु असफल रहा। रात को ही आमिल व बशी गुलाम मोहिद्दीन मुल्य पटेल ताराचन्द की मदद से कस्बे से सैनिकों के साथ बच निकले। जब सुबह कप्तान को मालुम हुआ कि चिड़िया उड़ गई है तो उसने कस्बे को कब्जे में ले लिया। कस्बे के बीच में अंग्रेज सिपाहियों की फौज ले जाई गई और यूनियन जैक झंडा फहराया गया।

आजादी की जंग में निम्बाहेड़ा के और भी कई वाशिन्दो का बहुत बड़ा योगदान रहा है, ऐसे और भी कई जाबांज योद्धा हुए है जिन्होने आजादी के लिये अपनी जान की परवाह नही करते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

टैग :इतिहासस्वतंत्रता सेनानी
शेयर करें :
Facebook Pinterest Whatsapp Whatsapp
◈  इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दें :
Proud5
Happy0
Love0
Surprise1
Sad0
Angry0
एо अहमद
लेखकएо अहमद
Founder and Editor
Follow:
मैं आफताब अहमद इस साइट पर एक लेखक हूं, मुझे विभिन्न शैलियों और विषयों पर लिखना पसंद है। मुझे ऐसा निबंध और ब्लॉग लिखना अच्छा लगता है जो मेरे पाठकों को चिंतन और प्रेरणा देती हैं।
कमेंट करें! कमेंट करें!

कमेंट करें! Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

हमें फॉलो करें >>

FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
YoutubeSubscribe

सबसे अधिक पढ़ी गईं >>

बच्चों को नमाज़ की आदत डालने के 4 मजेदार और आसान तरीके

5 मिनट में पढ़ें
124 लोगों ने देखा

इमाम अल-बुखारी: इस्लामिक विद्वान और हदीस संकलनकर्ता

29 मिनट में पढ़ें
16 लोगों ने देखा
8 Islamic Principles for Successful Business, in the Light of the Holy Quran and Hadith

सफल व्यापार के लिए 8 इस्लामी सिद्धांत, पवित्र कुरान और हदीस की रोशनी में

9 मिनट में पढ़ें
563 लोगों ने देखा

हज़रत खालिद बिन वलीद को जानिये जिन्होंने अपने समय के सुपर पावर रोमन साम्राज्य और पर्शियन साम्राज्य को धूल चटाई।

6 मिनट में पढ़ें
1.5k लोगों ने देखा

आखिर खुल गया राज कि आखिर इज़राइल ने ईरान के 30 वरिष्ठ सुरक्षा प्रमुखों और 11 वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिकों को कैसे मार गिराया।

9 मिनट में पढ़ें
135 लोगों ने देखा

सिराजुद्दौला: बंगाल का अंतिम स्वतंत्र नवाब, जीवन, कार्य और प्लासी की लड़ाई

12 मिनट में पढ़ें
16 लोगों ने देखा

मौलाना शाह अब्दुल कादिर लुधियानवी: 1857 की जंग-ए-आजादी के गुमनाम नायक

12 मिनट में पढ़ें
140 लोगों ने देखा

इंकलाब जिंदाबाद का नारा देने वाले क्रांतिकारी: मौलाना हसरत मोहानी

13 मिनट में पढ़ें
111 लोगों ने देखा

भगत सिंह को सजा से बचाने की कोशिश करने वाले वे मुसलमान जिन्हे भुला दिया गया

3 मिनट में पढ़ें
11 लोगों ने देखा

इमाम मुस्लिम: सहीह मुस्लिम के संकलनकर्ता

14 मिनट में पढ़ें
94 लोगों ने देखा
Avatar
Daily Hadith
Today at 12:00 PM

सम्बंधित टॉपिक >>

हवा में उड़ान भरनेवाला दुनिया का पहला इन्सान “अब्बास इब्न फिरनास”

5 मिनट में पढ़ें
1.8k लोगों ने देखा

कौन हैं तुर्रम खान? जिनके कारनामे को बहादुरी और दुस्साहस का पैमाना मान लिया गया।

8 मिनट में पढ़ें
95 लोगों ने देखा

गणित की मदद से पृथ्वी को नापने वाला और ब्रह्मांड के रहस्यों से पर्दा उठाने वाला शख्स: अल-फरगानी

16 मिनट में पढ़ें
13 लोगों ने देखा

1857 स्वतंत्रता संग्राम के एक गुमनाम नायक – शहीद शेख भिखारी

5 मिनट में पढ़ें
309 लोगों ने देखा

महत्वपूर्ण लिंक्स

  • सहेजी गई पोस्ट
  • आपके लिए
  • पढ़े गए पोस्ट
  • पसंदीदा टॉपिक्स
  • मेरी प्रोफाइल
  • हमारे बारे में
  • हमारी सहायता करें
  • हमे विज्ञापन दें
  • भविष्य योजना
  • साइट के लेखक
  • संपर्क करें
  • गोपनीयता नीति
  • अस्वीकरण
  • सेवा की शर्तें
  • सुधार नीति

All content © NoorPost


adbanner
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

क्या पासवर्ड भूल गए?

Not a member? Sign Up