इस समय उत्तर प्रदेश चुनाव चल रहा है, ऐसे में बहुत सारे न्यूज चैनल वालें मुसलमानों से इन्टरव्यू ले रहे हैं। उनकी बातें सुनकर बहुत दुख हो रहा है कि उनके विचार हर पॉइंट पर गलत है, और ये विचार देर सबेर मुसलमानों को ही नुकसान पहुंचाएगी। इसलिए मुसलमानों को इन तीन पॉइंट पर अच्छी तरह विचार करना चाहिए ताकि मुसलमानों की राजनीति में हिस्सेदारी बढ़ सके।
👉 मुसलमानों को यह नही देखना चाहिए कि मुसलमान चुनाव में उठा है बल्कि यह देखना चाहिए कि वह किस पार्टी से उठा है और उस पार्टी का मुसलमानों के प्रति इतिहास क्या रहा है। गैरमुस्लिम पार्टियां अक्सर ऐसे मुसलमान को टिकट देती हैं जो मंदबुद्धि हो, या उसे अपने कौम से ज्यादा लगाव न हो और उसके अंदर गैरत (स्वाभिमान, शर्म, हया) नाम की चीज ना हो क्योंकि ऐसा प्रत्याशी ही उन पार्टियों की गुलामी अच्छी तरह से कर सकता है।
👉 इस वक्त मुसलमानों का मुख्य मकसद यह नहीं होना चाहिए कि बीजेपी को हराना है बल्कि इस वक्त मुख्य मकसद, अधिक से अधिक मुसलमान सांसद और विधायक को राज्यसभा, लोकसभा और विधानसभा में पहुंचाना चाहिए ताकि वह मुसलमानों के खिलाफ बनने वाले कानूनों जैसे CAA, NRC, तीन तलाक बिल, जैसे कानूनों को बनने से रोक सकें और अपने हित में कानून बनवा सकें।
👉 मुसलमानों को अब सिर्फ यह नही देखना चाहिए कि विधायक या सांसद ने कौन सी सड़क, नाली, इमारत आदि बनवाया है, बल्कि यह भी देखना चाहिए कि उसने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए क्या काम किया है। इसलिए अपने क्षेत्र के प्रत्याशी से ऐसा वादा लें और जीतने के बाद इन वादों को पूरा करने का दबाव बनाते रहे।
मुसलमानों को अब राजनीतिक समझ विकसित कर लेनी चाहिए और उस पर पूरी तरह अमल करना चाहिए ताकि राजनीति में अपनी हिस्सेदारी ले सकें, जिससे सरकार और प्रशासन द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न को रोका जा सके और अपने आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित किया जा सके।
(इस आर्टिकल को लिखने में मुझे 3 घंटे लगें है, और आप को पढ़ने में 3 मिनट, अब सिर्फ 30 सेकंड और लगा कर अपने मुस्लिम भाइयों और बहनों तक शेयर करें ताकि वो भी इसे पढ़कर जागरूक हो सकें)