मिस्र का एक हुक्मरान था जिसका नाम था “मुहम्मद करीम“। एक बार फ़्रांस ने मिस्र पर अचानक हमला कर दिया, उस वक्त नेपोलियन फ़्रांस का बादशाह था ।
मुहम्मद करीम अपने मुल्क के लिए और अपने लोगों के लिए जितना लड़ सकता था लड़ा, लेकिन बदक़िस्मती से फ़्रांस ने उसको हरा दिया और मिस्र पर क़ब्ज़ा कर लिया। फ्रांस के फ़ौजियों ने मुहम्मद करीम को ज़ंजीरों में जकड़ कर नेपोलियन बोनापार्ट के सामने पेश कर दिया ।
नेपोलियन बोनापार्ट ने मुहम्मद करीम से कहा “तुमने मेरे बहुत से फ़ौजी मार दिए लेकिन जिस दिलेरी और बहादुरी से तुम ने अपना मुल्क बचाने की कोशिश की है, मैं तुम्हें एक मौक़ा देना चाहता हूँ, तुमने मेरे जितने फौजी मारे हैं उनका मुआवजा दे दो तो मैं तुम्हें छोड़ दूँगा।”
फ़्रांस के फ़ौजी मुहम्मद करीम को ज़ंजीरों में जकड़ कर मिस्र के बड़े-बड़े व्यपारियो के पास ले गए। मुहम्मद करीम का ख़्याल था कि वो व्यापारी उसकी भरपूर मदद करेंगे क्यूंकि उसने उनकी आज़ादी के लिए एक लंबी जंग लड़ी थी । लेकिन मिस्र के मतलबी व्यपारियों ने उससे मुंह फेर लिया और मुआवज़ा के लिए रक़म देने से इंकार कर दिया।
शाम को जब मुहम्मद करीम को नेपोलियन बोनापार्ट के सामने पेश किया गया तो मुहम्मद करीम का सर शर्म से झुका हुआ था ।
नेपोलियन के कहा “मैं तुम्हें सज़ा ए मौत इसलिए नहीं दूँगा कि तुमने मेरे बहुत से फ़ौजी मारे हैं, बल्कि तुम्हें सज़ा ए मौत इसलिए दूँगा कि तुम एक जाहिल क़ौम के लिए लड़ते रहे..”
आखिर में नेपोलियन ने मुहम्मद करीम को एक दर्दनाक मौत दे कर शहीद कर दिया।
~ आज हमारे कौम के लोगों का हाल भी उन व्यपारियों की ही तरह हैं, जो उनके ‘हक’ और ‘उनकी आजादी की सुरक्षा’ के लिए अपना सब कुछ क़ुर्बान और अपनी जान की बाजी लगा कर लड़ रहा है उसे B-टीम और दलाल कह रहे हैं। अब भी वक्त है संभल जाओ और अपने लिए लड़ने वालों को मजबूत करो, वरना ऐसे लोगों का क्या अंजाम हुआ इतिहास में देख सकते हैं।