News Video Quiz Tools More

Quiz Categories

General Knowledge Test Your IQ Islamic Knowledge Quiz Science Quiz History Quiz Fun Quiz

Tools & Utilities

Age Calculator Unit Converter QR Code Generator BMI Calculator Search Tool Love Calculator Wishes

Explore More

About Us Donate Us Privacy Policy Terms of Service Contact Advertise With Us Correction Policy Disclaimer Future Plan Writers
By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
NoorPostNoorPost
  • होम
  • न्यूज़
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • मुस्लिम दुनिया
  • इतिहास
    • मुस्लिम वैज्ञानिक
    • सामाजिक कार्यकर्ता
    • स्वतंत्रता सेनानी
    • उस्मानी साम्राज्य
    • जीवनी
  • वीडियो
  • ब्लॉग
  • मजहब
  • अन्य
    • खान-पान
    • स्वास्थ्य
    • शिक्षा
    • रोजगार
    • साइंस-टेक्नोलॉजी
      • मोबाइल
Sign In
नोटिफिकेशन और दिखाएं
Font Resizerआ
Font Resizerआ
NoorPostNoorPost
  • अंतरराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • मुस्लिम दुनिया
  • इतिहास
  • खान-पान
  • ब्लॉग
  • मजहब
  • रोजगार
  • वीडियो
  • शिक्षा
  • साइंस-टेक्नोलॉजी
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
Search
  • प्रमुख पेज
    • होम
    • संपर्क करें
    • गोपनीयता नीति
    • अस्वीकरण
    • सर्च करें
  • मेरी चीजें
    • सुरक्षित पोस्ट
    • मेरे लिए
    • पढ़े गए पोस्ट
    • पसंदीदा टॉपिक्स
    • पसंदीदा लेखक/लेखिका
  • Categories
    • मुस्लिम दुनिया
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • इतिहास
    • खान-पान
    • ब्लॉग
    • मजहब
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
    • रोजगार
    • वीडियो
    • साइंस-टेक्नोलॉजी
    • सोशल मीडिया
Sign In Sign In
Follow US
> इतिहास > स्वतंत्रता सेनानी > असली वीर तो शेर अली आफ़रीदी थे, जिन्होंने अंडमान जेल में रहते हुए अंग्रेज वायसराय को मारा।

असली वीर तो शेर अली आफ़रीदी थे, जिन्होंने अंडमान जेल में रहते हुए अंग्रेज वायसराय को मारा।

एо अहमद
एо अहमद
एо अहमद
लेखकएо अहमद
Founder and Editor
मैं आफताब अहमद इस साइट पर एक लेखक हूं, मुझे विभिन्न शैलियों और विषयों पर लिखना पसंद है। मुझे ऐसा निबंध और ब्लॉग लिखना अच्छा लगता...
Follow:
Published: 29/06/2025
1 View
No Comments
शेयर
9 मिनट में पढ़ें

आज हम आपको एक ऐसे नायक की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में भले ही ज्यादा न चमकता हो, लेकिन उनकी बहादुरी और देशभक्ति की मिसाल आज भी हमें प्रेरित करती है। यह कहानी है शेर अली आफ़रीदी की, जिन्हें शेरे अली के नाम से भी जाना जाता है। एक ऐसा शख्स, जिसने अपनी जिंदगी में नाइंसाफी, यातनाओं और अंग्रेजों के जुल्म को सहा, फिर भी अपने देश के लिए कुछ बड़ा करने का जज्बा नहीं छोड़ा। आइए, इस गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी की कहानी को विस्तार से जानते हैं, जो युवा दिलों में जोश और प्रेरणा जगा सकती है।

हाईलाइट्स
शेर अली का शुरुआती जीवन: वफादारी से विद्रोह तककालापानी: यातनाओं का अंधेराचतुराई और धैर्य: शेर अली की रणनीतिलॉर्ड मेयो का अंडमान दौरा: एक ऐतिहासिक मोड़8 फरवरी 1872: वह ऐतिहासिक दिनशेर अली का बलिदानशेर अली की विरासत#स्वतंत्रता_संग्राम #शेर_अली_आफ़रीदी #भारत_की_आजादी #कालापानी #देशभक्ति

शेर अली का शुरुआती जीवन: वफादारी से विद्रोह तक

शेर अली आफ़रीदी का जन्म 19वीं सदी में हुआ था। वह एक पठान योद्धा थे, जिनमें शुरू से ही साहस और निष्ठा कूट-कूटकर भरी थी। 1860 के दशक में उन्होंने ब्रिटिश प्रशासन के लिए पंजाब घुड़सवार पुलिस में काम किया। इससे पहले, वह 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंबाला में घुड़सवार सेना रेजिमेंट और रोहिलखंड व अवध में प्रेसीडेंसी सेनाओं में अपनी सेवाएं दे चुके थे। उनकी बहादुरी और समर्पण के लिए मेजर ह्यूग जेम्स ने उन्हें प्रमाण पत्र से सम्मानित किया था, और रेन टेलर ने उन्हें एक घोड़ा और पिस्तौल भेंट की थी। उस समय शेर अली पूरी तरह से ब्रिटिश शासन के प्रति वफादार थे।

लेकिन जिंदगी ने उनके लिए कुछ और ही लिखा था। एक रिश्तेदार की हत्या के झूठे आरोप में उन्हें फंसाया गया। उनकी वफादारी और निष्ठा का कोई फायदा नहीं हुआ। उन्हें पहले मौत की सजा सुनाई गई, लेकिन अपील के बाद 2 अप्रैल 1867 को इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया। इसके बाद, शेर अली को अंडमान निकोबार की कुख्यात कालापानी जेल में भेज दिया गया।


कालापानी: यातनाओं का अंधेरा

अंडमान निकोबार की कालापानी जेल उस समय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक नर्क थी। चारों तरफ समुद्र से घिरी इस जेल में कैदियों को अमानवीय यातनाएं दी जाती थीं। उन्हें हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़कर रखा जाता था। हर कैदी को रोजाना 30 पाउंड नारियल और सरसों का तेल निकालने का कठिन काम करना पड़ता था। अगर कोई काम करने से मना करता या विरोध करता, तो उसे बेरहमी से पीटा जाता था। सड़ा हुआ खाना, गंदा पानी, और बीमारियां कैदियों की जिंदगी का हिस्सा थीं। यह जेल न केवल शरीर को तोड़ती थी, बल्कि आत्मा को भी कुचलने की कोशिश करती थी।

शेर अली ने इस जेल में कैदियों के साथ होने वाले क्रूर व्यवहार को अपनी आंखों से देखा। उनके दिल में अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा और विद्रोह की चिंगारी भड़क उठी। उन्होंने ठान लिया कि वह भारत की आजादी के लिए कुछ बड़ा करेंगे। लेकिन यह आसान नहीं था। जेल में हर कदम पर निगरानी थी, और हथियार तो दूर, कैदियों को अपनी बात कहने की आजादी भी नहीं थी। फिर भी, शेर अली ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने एक चतुर योजना बनाई।


चतुराई और धैर्य: शेर अली की रणनीति

शेर अली ने सबसे पहले अंग्रेज अधिकारियों का भरोसा जीतने का फैसला किया। उन्होंने अपनी उग्रता को छिपाया और जेल के अंग्रेज अफसरों के सामने अच्छा व्यवहार दिखाना शुरू किया। उनकी इस चतुराई ने काम किया। जल्द ही, उन्हें जेल में नाई का काम सौंपा गया। नाई के रूप में, वह सभी कैदियों और अधिकारियों के बाल काटता था। इस दौरान वह भारतीय कैदियों से गुप्त रूप से बात करता और उन्हें बताता कि वह जल्द ही एक बड़ा कारनामा करने वाला है।

उनका असली मकसद था ब्रिटिश हुकूमत को एक बड़ा झटका देना। और मौका आया, जब भारत के चौथे वायसराय, लॉर्ड मेयो (रिचर्ड साउथवेल बॉर्के), को अंडमान की जेल का निरीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया गया।


लॉर्ड मेयो का अंडमान दौरा: एक ऐतिहासिक मोड़

लॉर्ड मेयो ब्रिटिश भारत के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक थे। वह एक उत्साही यात्री थे और अंडमान की जेल का दौरा उनके लिए एक अनोखा अवसर था। 24 जनवरी 1872 को, लॉर्ड मेयो अपनी पत्नी लेडी मेयो, राजनयिकों, और भारी सुरक्षा बल के साथ कलकत्ता से रंगून होते हुए अंडमान के लिए रवाना हुए। 8 फरवरी 1872 को उनका कारवां पोर्ट ब्लेयर पहुंचा।

उस समय अंडमान की कॉलोनी में करीब 8000 लोग थे, जिनमें 7000 पुरुष कैदी, 900 महिलाएं, और 200 पुलिसकर्मी शामिल थे। लॉर्ड मेयो ने जेल का निरीक्षण किया और फिर माउंट हैरियट पर जाने का फैसला किया, ताकि वहां सूर्यास्त का नजारा देख सकें और दोषियों के लिए एक सेनेटोरियम की संभावना तलाश सकें।

शेर अली के लिए यह मौका सुनहरा था। वह कई दिनों से वायसराय के दौरे की खबर से उत्साहित होने का नाटक कर रहे थे, ताकि अंग्रेजों को कोई शक न हो। लेकिन उन्हें रॉस द्वीप, जहां लॉर्ड मेयो ठहरे थे, तक पहुंचने की इजाजत नहीं मिली। फिर भी, शेर अली ने हार नहीं मानी।


8 फरवरी 1872: वह ऐतिहासिक दिन

8 फरवरी की शाम को, लॉर्ड मेयो माउंट हैरियट से लौट रहे थे। अंधेरा छा चुका था, और वह 12 गार्डों की सुरक्षा में थे। लेडी मेयो अपने पति की वापसी का इंतजार कर रही थीं और उन्होंने बैंड को स्वागत में बजाने का आदेश दिया। जैसे ही लॉर्ड मेयो घाट की सीढ़ियों से नीचे उतर रहे थे, शेर अली, जो एक झाड़ी में छिपे थे, ने बिजली की गति से हमला किया। उनके पास कोई बंदूक या तलवार नहीं थी—सिर्फ एक नाई का चाकू। लेकिन उनकी हिम्मत और जज्बे ने उस चाकू को एक शक्तिशाली हथियार बना दिया।

शेर अली ने लॉर्ड मेयो पर हमला किया और कुछ ही पलों में उनका काम तमाम कर दिया। समुद्र के किनारे, जंगल की छांव, ढोल की आवाज, और मशालों के बीच हंगामा मच गया। शेर अली के पास भागने का मौका था, लेकिन वह शांत खड़े रहे। उन्होंने वह कर दिखाया था, जो उनका मकसद था। लॉर्ड मेयो को बचाने की कोशिश की गई, लेकिन अत्यधिक खून बहने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।


शेर अली का बलिदान

शेर अली की इस बहादुरी ने ब्रिटिश हुकूमत में हड़कंप मचा दिया। एक साधारण कैदी, जिसके पास सिर्फ एक चाकू था, ने ब्रिटिश भारत के सबसे ताकतवर व्यक्ति को मार गिराया। यह कोई साधारण घटना नहीं थी। लॉर्ड मेयो का पद उस समय के प्रधानमंत्री के बराबर था, और उनकी सुरक्षा में कोई कमी नहीं थी। फिर भी, शेर अली की चतुराई, धैर्य, और देशभक्ति ने असंभव को संभव कर दिखाया।

शेर अली ने कहा कि उन्होंने यह काम अल्लाह के निर्देश पर किया, और उनका साथी सिर्फ अल्लाह था। लेकिन ब्रिटिश हुकूमत इस घटना को दबाना चाहती थी। इसलिए, जल्दबाजी में और चुपके से, 11 मार्च 1872 को शेर अली को वाइपर आइलैंड पर फांसी दे दी गई। उनकी शहादत गुमनाम रही, लेकिन इसने स्वतंत्रता संग्राम में एक नई चिंगारी पैदा की।


शेर अली की विरासत

शेर अली आफ़रीदी की कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची देशभक्ति और हिम्मत के सामने कोई बाधा बड़ी नहीं होती। उनके पास न तो हथियार थे, न ही कोई बड़ा समर्थन, फिर भी उन्होंने अपने जज्बे और चतुराई से इतिहास रच दिया। वह एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनमें भगत सिंह की तरह प्रतिबद्धता और आजाद की तरह जोश था।

आज के युवाओं के लिए शेर अली की कहानी एक प्रेरणा है। यह हमें बताती है कि अगर दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो संसाधनों की कमी या मुश्किल हालात आपको रोक नहीं सकते। शेर अली ने अपने बलिदान से यह दिखाया कि आजादी की लड़ाई में हर छोटा-बड़ा योगदान मायने रखता है।

तो आइए, हम इस गुमनाम नायक को याद करें और उनके बलिदान को सलाम करें। उनकी कहानी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस वीर पठान की बहादुरी को जान सकें। शेर अली आफ़रीदी—एक सच्चा स्वतंत्रता सेनानी, जिसका नाम हमेशा अमर रहेगा!

#स्वतंत्रता_संग्राम #शेर_अली_आफ़रीदी #भारत_की_आजादी #कालापानी #देशभक्ति

टैग :इतिहासमुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी
शेयर करें :
Facebook Pinterest Whatsapp Whatsapp
◈  इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दें :
Proud1
Happy0
Love0
Surprise0
Sad0
Angry0
एо अहमद
लेखकएо अहमद
Founder and Editor
Follow:
मैं आफताब अहमद इस साइट पर एक लेखक हूं, मुझे विभिन्न शैलियों और विषयों पर लिखना पसंद है। मुझे ऐसा निबंध और ब्लॉग लिखना अच्छा लगता है जो मेरे पाठकों को चिंतन और प्रेरणा देती हैं।
कमेंट करें! कमेंट करें!

कमेंट करें! Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

हमें फॉलो करें >>

FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
YoutubeSubscribe

सबसे अधिक पढ़ी गईं >>

shahad-quran-madhumakkhi-science

वैज्ञानिकों ने मधुमक्खी के बारे में जो खोज अब किया वह कुरान में 1400 साल पहले ही लिख दी गई थी।

एо अहमद
8 मिनट में पढ़ें
17 लोगों ने देखा

शेख अब्दुल हक देहलवी: मध्यकालीन भारत के महान सूफी विद्वान और साहित्यकार

एо अहमद
15 मिनट में पढ़ें
23 लोगों ने देखा

जिज्ञासु यात्री अल-मसूदी: इतिहास और भूगोल का चमकता सितारा

एо अहमद
14 मिनट में पढ़ें
22 लोगों ने देखा

मौलाना शौकत अली: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक और एकता के प्रतीक

एо अहमद
18 मिनट में पढ़ें
6 लोगों ने देखा

सिराजुद्दौला: बंगाल का अंतिम स्वतंत्र नवाब, जीवन, कार्य और प्लासी की लड़ाई

एо अहमद
12 मिनट में पढ़ें
7 लोगों ने देखा

अल-इद्रीसी: मध्यकालीन विश्व का महान भूगोलवेत्ता और उनकी रोमांचक कहानियां

एо अहमद
12 मिनट में पढ़ें
17 लोगों ने देखा

नासिर अल-दीन तुसी: मध्ययुगीन विद्वान की प्रेरणादायक कहानी और बगदाद की घेराबंदी के बाद पुस्तकों का संरक्षक

एо अहमद
13 मिनट में पढ़ें
17 लोगों ने देखा

सच में होता है टाइम ट्रैवल, क्या भविष्य से आ सकता है पृथ्वी पर कोई इंसान? जानिए क्या कहता है साइंस।

एо अहमद
6 मिनट में पढ़ें
5 लोगों ने देखा

हज के बारे में पांच ख़ास बातें जो शायद आपको ना पता हों।

एо अहमद
9 मिनट में पढ़ें
85 लोगों ने देखा

अपनी याददाश्त को बेहतर बनाएँ: 11 आसान और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित तरीकों से।

एо अहमद
5 मिनट में पढ़ें
27 लोगों ने देखा
Avatar
Daily Hadith
Today at 12:00 PM

सम्बंधित टॉपिक >>

Aruna Asaf Ali.

स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला भड़काने वाली अरुणा आसफ अली

एо अहमद
12 मिनट में पढ़ें
4 लोगों ने देखा
Jabir ibn Hayyan

कीमिया से आधुनिक रसायन विज्ञान: जाबिर इब्न हय्यान का योगदान

एо अहमद
10 मिनट में पढ़ें
1.8k लोगों ने देखा

भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के एक वीर नायक बख्शी गुलाम मोइनुद्दीन खान

एо अहमद
7 मिनट में पढ़ें
1.9k लोगों ने देखा

सिराजुद्दौला: एक नवाब की वीरता, विश्वासघात और भारत के इतिहास का मोड़

एо अहमद
14 मिनट में पढ़ें
1 View

महत्वपूर्ण लिंक्स

  • सहेजी गई पोस्ट
  • आपके लिए
  • पढ़े गए पोस्ट
  • पसंदीदा टॉपिक्स
  • मेरी प्रोफाइल
  • हमारे बारे में
  • हमारी सहायता करें
  • हमे विज्ञापन दें
  • भविष्य योजना
  • साइट के लेखक
  • संपर्क करें
  • गोपनीयता नीति
  • अस्वीकरण
  • सेवा की शर्तें
  • सुधार नीति

All content © NoorPost


adbanner
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

क्या पासवर्ड भूल गए?

Not a member? Sign Up
हमसे जुड़े रहने और लगातार नोटिफिकेशन पाने के लिए नोटिफिकेशन ऑन करें Ok No thanks