News Video Quiz Tools More

Quiz Categories

General Knowledge Test Your IQ Islamic Knowledge Quiz Science Quiz History Quiz Fun Quiz

Tools & Utilities

Age Calculator Unit Converter QR Code Generator BMI Calculator Search Tool Love Calculator Wishes

Explore More

About Us Donate Us Privacy Policy Terms of Service Contact Advertise With Us Correction Policy Disclaimer Future Plan Writers
By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
NoorPostNoorPost
  • होम
  • न्यूज़
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • मुस्लिम दुनिया
  • इतिहास
    • मुस्लिम वैज्ञानिक
    • सामाजिक कार्यकर्ता
    • स्वतंत्रता सेनानी
    • उस्मानी साम्राज्य
    • जीवनी
  • वीडियो
  • ब्लॉग
  • मजहब
  • अन्य
    • खान-पान
    • स्वास्थ्य
    • शिक्षा
    • रोजगार
    • साइंस-टेक्नोलॉजी
      • मोबाइल
Sign In
नोटिफिकेशन और दिखाएं
Font Resizerआ
Font Resizerआ
NoorPostNoorPost
  • अंतरराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • मुस्लिम दुनिया
  • इतिहास
  • खान-पान
  • ब्लॉग
  • मजहब
  • रोजगार
  • वीडियो
  • शिक्षा
  • साइंस-टेक्नोलॉजी
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
Search
  • प्रमुख पेज
    • होम
    • संपर्क करें
    • गोपनीयता नीति
    • अस्वीकरण
    • सर्च करें
  • मेरी चीजें
    • सुरक्षित पोस्ट
    • मेरे लिए
    • पढ़े गए पोस्ट
    • पसंदीदा टॉपिक्स
    • पसंदीदा लेखक/लेखिका
  • Categories
    • मुस्लिम दुनिया
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • इतिहास
    • खान-पान
    • ब्लॉग
    • मजहब
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
    • रोजगार
    • वीडियो
    • साइंस-टेक्नोलॉजी
    • सोशल मीडिया
Sign In Sign In
Follow US
> इतिहास > इस्लामी स्वर्ण युग’ जिसने रखा आधुनिक युग की नींव

इस्लामी स्वर्ण युग’ जिसने रखा आधुनिक युग की नींव

एо अहमद
एо अहमद
एо अहमद
लेखकएо अहमद
Founder and Editor
मैं आफताब अहमद इस साइट पर एक लेखक हूं, मुझे विभिन्न शैलियों और विषयों पर लिखना पसंद है। मुझे ऐसा निबंध और ब्लॉग लिखना अच्छा लगता...
Follow:
Published: 08/07/2025
174 लोगों ने देखा
3 Comments
शेयर
14 मिनट में पढ़ें

इस्लामी स्वर्ण युग (Islamic Golden Age) इतिहास का वह स्वर्णिम काल था, जो 8वीं से 16वीं शताब्दी तक फैला हुआ था। यह वह समय था जब इस्लामिक सभ्यता ने बौद्धिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, और आर्थिक क्षेत्रों में विश्व को नई दिशा दी। इस युग की शुरुआत अब्बासिया खलीफा हारुन अल-रशीद (786-809) के शासनकाल से मानी जाती है, जब बगदाद में बैत अल-हिकमा (House of Wisdom) की स्थापना हुई। यह एक ऐसी संस्था थी, जिसने विश्व भर के ज्ञान को एकत्रित करने, उसका अरबी और फारसी में अनुवाद करने, और उसका अध्ययन करने का कार्य किया। इस केंद्र ने प्राचीन यूनान, भारत, चीन, और फारस की ज्ञान परंपराओं को संरक्षित और समृद्ध किया, जिसने इस्लामिक दुनिया को वैश्विक बौद्धिक केंद्र बनाया।

हाईलाइट्स
इस्लामी स्वर्ण युग: काल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमिइस्लामी स्वर्ण युग का प्रभाव1. धर्म पर प्रभाव2. संस्कृति पर प्रभाव3. शिक्षा पर प्रभाव4. चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान5. विज्ञान में प्रगति6. गणित में योगदानइस्लामी स्वर्ण युग की उपेक्षा और साजिशनिष्कर्ष: इस्लामी स्वर्ण युग का स्थायी प्रभाव

इस लेख में हम इस्लामी स्वर्ण युग के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझेंगे, जिसमें इसकी समयावधि, धर्म, संस्कृति, शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान, और गणित पर इसके प्रभाव शामिल हैं। हम यह भी देखेंगे कि कैसे इस युग के विद्वानों ने आधुनिक युग की नींव रखी और क्यों इन योगदानों को अक्सर नजरअंदाज किया गया।


इस्लामी स्वर्ण युग: काल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

इस्लामी स्वर्ण युग कब से कब तक था?

इस्लामी स्वर्ण युग की शुरुआत 8वीं शताब्दी में अब्बासिया खलीफा के उदय के साथ हुई और यह 16वीं शताब्दी तक चला। इसकी शुरुआत का श्रेय हारुन अल-रशीद के शासनकाल को दिया जाता है, जिन्होंने बगदाद को विश्व का सांस्कृतिक और बौद्धिक केंद्र बनाया। इस युग का अंत 1258 में मंगोल आक्रमण और बगदाद की घेराबंदी के साथ शुरू हुआ, जब अब्बासिया खलीफा का पतन हुआ। इसके बाद, 15वीं और 16वीं शताब्दी में गनपाउडर की खोज और यूरोपीय पुनर्जनन (Renaissance) के उदय ने इस युग के प्रभाव को धीरे-धीरे कम किया।

विकिपीडिया और Encyclopaedia Britannica के अनुसार, कुछ इतिहासकार इस युग को 8वीं से 13वीं शताब्दी तक सीमित मानते हैं, जो इसका चरम काल था। हालांकि, ओटोमन और मुगल साम्राज्यों में इस युग का प्रभाव 17वीं शताब्दी तक देखा गया। इस काल में इस्लामिक दुनिया में स्थिरता, समृद्धि, और व्यापार ने विद्वानों को अनुसंधान और नवाचार के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान किया।

बैत अल-हिकमा: ज्ञान का वैश्विक केंद्र

बगदाद में स्थापित बैत अल-हिकमा इस युग का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक था। यह एक पुस्तकालय, अनुसंधान केंद्र, और अनुवाद संस्थान था, जहां यूनानी दार्शनिकों जैसे प्लेटो, अरस्तू, और यूक्लिड, भारतीय गणितज्ञों जैसे ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट, और चीनी वैज्ञानिकों के कार्यों का अरबी और फारसी में अनुवाद किया गया। BBC History के अनुसार, इस केंद्र ने विभिन्न संस्कृतियों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया और इस्लामिक विद्वानों को प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करने और उसका विस्तार करने का अवसर प्रदान किया। बैत अल-हिकमा ने न केवल इस्लामिक दुनिया को बल्कि पूरे विश्व को बौद्धिक रूप से समृद्ध किया।


इस्लामी स्वर्ण युग का प्रभाव

इस्लामी स्वर्ण युग का प्रभाव इतना व्यापक था कि इसे संक्षेप में वर्णन करना असंभव है। इसने धर्म, संस्कृति, शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान, और गणित जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाए। आइए, इन क्षेत्रों में इसके योगदान को विस्तार से देखें।

1. धर्म पर प्रभाव

इस्लामी स्वर्ण युग में इस्लाम के धार्मिक अध्ययन में अभूतपूर्व प्रगति हुई। इस काल में हदीस (पैगंबर मुहम्मद के कथन और कार्य) का संग्रह और विश्लेषण एक महत्वपूर्ण विषय बन गया। इस युग के प्रमुख विद्वानों ने इस्लामी कानून (फिक्ह) और नैतिकता को व्यवस्थित किया। कुछ प्रमुख विद्वान और उनके योगदान:

  • इमाम अबू हनीफा (699-767): हनफी मज़हब के संस्थापक, जिन्होंने इस्लामी कानून को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा स्थापित नियम आज भी लाखों मुसलमानों के लिए मार्गदर्शक हैं।
  • इमाम बुखारी (810-870): सहीह अल-बुखारी के लेखक, जिन्होंने हजारों हदीसों को प्रामाणिकता के आधार पर संग्रहित किया। उनकी किताब को इस्लाम में कुरान के बाद सबसे प्रामाणिक माना जाता है।
  • इमाम मुस्लिम (815-875): सहीह मुस्लिम के लेखक, जिन्होंने हदीस संग्रह को और मजबूत किया।
  • इमाम अबू दावूद (817-889): उनके हदीस संग्रह ने इस्लामी कानून को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

Encyclopaedia Britannica के अनुसार, इन विद्वानों ने हदीसों को प्रामाणिकता के आधार पर वर्गीकृत करने के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाई, जिसने इस्लामी न्यायशास्त्र को एक व्यवस्थित और तर्कसंगत आधार प्रदान किया। इस युग में इस्लामी दर्शनशास्त्र भी विकसित हुआ, जिसमें अल-किंदी और अल-फ़ाराबी जैसे दार्शनिकों ने यूनानी दर्शन को इस्लामी विचारधारा के साथ जोड़ा।

2. संस्कृति पर प्रभाव

इस्लामी स्वर्ण युग ने विश्व की संस्कृतियों पर गहरा प्रभाव डाला। बैत अल-हिकमा में विभिन्न देशों और संस्कृतियों के विद्वानों का जमावड़ा हुआ, जिसने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया। इस काल में इस्लामिक संस्कृति, जिसमें रहन-सहन, खान-पान, पहनावा, और अदब-तहजीब शामिल थे, ने विश्व के कई हिस्सों को प्रभावित किया।

  • मुस्लिम व्यापारियों की भूमिका: इस्लामी व्यापारियों ने भारत, चीन, अफ्रीका, और यूरोप के साथ व्यापार के माध्यम से इस्लामिक संस्कृति को फैलाया। उदाहरण के लिए, अरबी कॉलिग्राफी, इस्लामी वास्तुकला (जैसे, कॉर्डोबा की मस्जिद और ताजमहल), और साहित्य ने विश्व भर में अपनी छाप छोड़ी।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: यूनानी, फारसी, और भारतीय संस्कृतियों के तत्व इस्लामिक संस्कृति में शामिल हुए। BBC History के अनुसार, इस्लामी स्वर्ण युग ने यूरोप में पुनर्जनन को प्रेरित किया, क्योंकि अरबी में अनुवादित यूनानी ग्रंथ यूरोप पहुंचे और वहां के विद्वानों ने इन्हें पढ़ा।

इस युग में इस्लामिक कला, जैसे ज्यामितीय पैटर्न और मिनिएचर पेंटिंग, ने भी विश्व कला को प्रभावित किया। National Geographic के अनुसार, इस्लामी वास्तुकला में मेहराब, गुंबद, और मीनार जैसे तत्व आज भी विश्व भर में देखे जा सकते हैं।

3. शिक्षा पर प्रभाव

इस्लामी स्वर्ण युग में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए। इस काल में स्थापित विश्वविद्यालयों ने आधुनिक शिक्षा प्रणाली की नींव रखी। कुछ प्रमुख विश्वविद्यालय और उनकी उपलब्धियां:

  • अल-क़रावियिन विश्वविद्यालय (859 ई.): मोरक्को में फातिमा अल-फ़िहरी द्वारा स्थापित, यह दुनिया का सबसे पुराना और पहला आधुनिक विश्वविद्यालय माना जाता है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, इस विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम और डिग्री प्रदान करने की प्रणाली शुरू की, जो आज की विश्वविद्यालय प्रणाली का आधार बनी। यह विश्वविद्यालय आज भी संचालित है और इस्लामी और आधुनिक शिक्षा का केंद्र है।
  • कॉर्डोबा विश्वविद्यालय (786 ई.): यूरोप का सबसे पुराना विश्वविद्यालय, जहां फ्रेंच-अवरोही पोप सिल्वेस्टर द्वितीय ने पढ़ाई की। यह विश्वविद्यालय विज्ञान, दर्शन, और गणित के अध्ययन का केंद्र था।
  • अल-अजहर विश्वविद्यालय (972 ई.): काहिरा, मिस्र में स्थापित, यह आज भी इस्लामी और आधुनिक शिक्षा का प्रमुख केंद्र है।
  • ज़ायतौना विश्वविद्यालय (732 ई.): ट्यूनीशिया में स्थापित, यह इस्लामी शिक्षा का एक और महत्वपूर्ण केंद्र था।

विकिपीडिया के अनुसार, इन विश्वविद्यालयों ने न केवल इस्लामी विद्वानों को बल्कि विश्व भर के छात्रों को आकर्षित किया। इन संस्थानों ने शिक्षा को व्यवस्थित और वैज्ञानिक आधार प्रदान किया, जिसने यूरोप और अन्य क्षेत्रों में शिक्षा प्रणाली को प्रभावित किया। इस युग में मदरसों की स्थापना भी हुई, जो धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा दोनों प्रदान करते थे।

4. चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान

इस्लामी स्वर्ण युग ने चिकित्सा के क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति की। इस युग के तीन प्रमुख चिकित्सकों ने आधुनिक चिकित्सा की नींव रखी:

  • इब्न सीना (Avicenna, 980-1037): उनकी पुस्तक अल-कानून फी अल-तिब (The Canon of Medicine) ने मानव शरीर, रोगों, और 800 से अधिक चिकित्सा पदार्थों का विस्तृत वर्णन किया। Encyclopaedia Britannica के अनुसार, इस पुस्तक ने संक्रामक रोगों की अवधारणा को प्रस्तुत किया और 19वीं सदी तक यूरोप के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती थी। इब्न सीना ने मानसिक स्वास्थ्य और मनोविज्ञान पर भी कार्य किया।
  • अल-ज़हरावी (Abulcasis, 936-1013): उन्हें आधुनिक सर्जरी का जनक कहा जाता है। उनकी पुस्तक अल-तशरीफ में सर्जिकल प्रक्रियाओं और 200 से अधिक उपकरणों का वर्णन है। उन्होंने कैटगट (जानवरों की आंत से बने धागे) का उपयोग सर्जरी में किया, जो आज भी उपयोग होता है। National Geographic के अनुसार, उनकी पुस्तक यूरोप में 500 वर्षों तक मानक पाठ्यपुस्तक रही।
  • इब्न ज़ुहर (Avenzoar, 1094-1162): उन्होंने प्रायोगिक ट्रेचोटॉमी और कैंसर की पहचान जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए। उनकी पुस्तकों ने चिकित्सा को तर्कसंगत और अनुभवजन्य आधार प्रदान किया।

वेब स्रोत (जैसे, Smithsonian Magazine) के अनुसार, इस्लामी चिकित्सकों ने अस्पतालों की स्थापना की, जहां मरीजों को मुफ्त इलाज और देखभाल प्रदान की जाती थी। इन अस्पतालों में मानसिक रोगों का भी इलाज किया जाता था, जो उस समय के लिए क्रांतिकारी था। इस युग में फार्मेसी की अवधारणा भी विकसित हुई, जहां औषधियों को व्यवस्थित रूप से तैयार और वितरित किया जाता था।

5. विज्ञान में प्रगति

इस्लामी स्वर्ण युग में विज्ञान के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक खोजें हुईं, जिन्होंने आधुनिक विज्ञान की नींव रखी। कुछ प्रमुख वैज्ञानिक और उनकी उपलब्धियां:

  • हसन इब्न अल-हेथम (Alhazen, 965-1040): उन्हें आधुनिक प्रकाशिकी का जनक माना जाता है। उनकी पुस्तक किताब अल-मनाज़िर (Book of Optics) ने स Siddh किया कि प्रकाश सीधी रेखा में चलता है। उनके प्रयोगात्मक दृष्टिकोण ने उन्हें दुनिया का पहला वैज्ञानिक माना जाता है। The Guardian के अनुसार, उनकी खोजों ने यूरोप में वैज्ञानिक क्रांति को प्रेरित किया।
  • जाबिर इब्न हय्यान (Geber, 721-815): रसायन विज्ञान के जनक, जिन्होंने नाइट्रिक और हाइड्रोक्लोरिक एसिड की खोज की। उनके प्रयोगात्मक दृष्टिकोण ने रसायन विज्ञान को एक वैज्ञानिक अनुशासन बनाया।
  • अल-जज़री (1136-1206): मैकेनिकल इंजीनियरिंग के जनक, जिन्होंने क्रैंक और कनेक्टिंग रॉड का आविष्कार किया। उनके द्वारा बनाए गए ऑटोमेटिक गैजेट्स ने रोबोटिक्स की नींव रखी।
  • उमर खय्याम (1048-1131): उन्होंने जलाली कैलेंडर बनाया, जो आधुनिक ग्रेगोरियन कैलेंडर का आधार बना। उनकी गणना के अनुसार, एक सौर वर्ष में 365.242250 दिन होते हैं।
  • अब्बास इब्न फिर्नास (810-887): 9वीं सदी में उन्होंने फ्लाइंग मशीन का मॉडल बनाया और उड़ान भरी, जो राइट बंधुओं से 1000 साल पहले की उपलब्धि थी।
  • पिरी रीस (1465-1553): उनके द्वारा बनाया गया नक्शा अमेरिका और विश्व के तटों को सटीकता के साथ दर्शाता है। यह नक्शा आज भी भौगोलिक अध्ययन में महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा, इस युग में साबुन, शैंपू, कॉफी, इत्र, तोप, सर्जिकल उपकरण, एनेस्थेसिया, और विंडमिल जैसी कई खोजें हुईं। Smithsonian Magazine के अनुसार, इस्लामी वैज्ञानिकों ने प्रयोगात्मक विधियों को अपनाया, जिसने आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति की नींव रखी।

6. गणित में योगदान

इस्लामी स्वर्ण युग में गणित के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई। इस युग के गणितज्ञों ने गणित का लगभग 70% विकास किया। कुछ प्रमुख योगदान:

  • मुहम्मद अल-ख्वारिज़्मी (780-850): उनकी पुस्तक अल-किताब अल-मुक्तसर फी हिसाब अलजब्र वा अल-मुकाबला ने बीजगणित (Algebra) को जन्म दिया। उनके कार्य ने समीकरणों को हल करने की सरल विधियां प्रदान कीं। विकिपीडिया के अनुसार, उनके नाम पर ही “एल्गोरिदम” शब्द बना। उन्होंने दशमलव प्रणाली और शून्य को भी लोकप्रिय बनाया।
  • उमर खय्याम (1048-1131): उन्होंने बीजगणितीय ज्यामिति की नींव रखी और घन समीकरणों के ज्यामितीय समाधान प्रस्तुत किए।
  • शराफ अल-दीन अल-तुसी (1135-1213): उन्होंने फलन (function) की अवधारणा प्रस्तुत की और घन समीकरणों के संख्यात्मक समाधान दिए।

The Guardian के अनुसार, इस्लामी गणितज्ञों ने त्रिकोणमिति, दशमलव प्रणाली, और ज्यामिति को विकसित किया, जिसने यूरोप में गणितीय क्रांति को प्रेरित किया।


इस्लामी स्वर्ण युग की उपेक्षा और साजिश

विकिपीडिया के अनुसार, औपनिवेशिक काल में कुछ पश्चिमी इतिहासकारों ने इस्लामी विद्वानों के योगदानों को कम करके आंका। उदाहरण के लिए, इब्न सीना को Avicenna और अल-ख्वारिज़्मी को Algorismus के नाम से जाना गया, जिससे उनकी इस्लामी पहचान धुंधली हुई। हालांकि, आधुनिक समय में National Geographic और BBC जैसे स्रोतों ने इन योगदानों को उजागर किया है।


निष्कर्ष: इस्लामी स्वर्ण युग का स्थायी प्रभाव

इस्लामी स्वर्ण युग ने मानव सभ्यता को ज्ञान, संस्कृति, और विज्ञान के क्षेत्र में अनमोल योगदान दिए। बैत अल-हिकमा से लेकर अल-क़रावियिन विश्वविद्यालय तक, इस युग ने शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान, और गणित में क्रांतिकारी बदलाव लाए। यह युग हमें सिखाता है कि ज्ञान और सहयोग से सभ्यताएं कैसे प्रगति कर सकती हैं।
इस लेख को शेयर करें और इस्लामी स्वर्ण युग के बारे में अपने विचार कमेंट में बताएं। क्या आप किसी अन्य इस्लामी विद्वान या उनकी खोज के बारे में जानते हैं? हमें बताएं!


इस लेख को शेयर करें और इस्लामी स्वर्ण युग के बारे में अपने विचार कमेंट में बताएं। क्या आप किसी अन्य इस्लामी विद्वान या उनकी खोज के बारे में जानते हैं? हमें बताएं!

टैग :इतिहासइस्लामी स्वर्ण युग
शेयर करें :
Facebook Pinterest Whatsapp Whatsapp
◈  इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दें :
Proud3
Happy0
Love0
Surprise0
Sad0
Angry0
एо अहमद
लेखकएо अहमद
Founder and Editor
Follow:
मैं आफताब अहमद इस साइट पर एक लेखक हूं, मुझे विभिन्न शैलियों और विषयों पर लिखना पसंद है। मुझे ऐसा निबंध और ब्लॉग लिखना अच्छा लगता है जो मेरे पाठकों को चिंतन और प्रेरणा देती हैं।
3 कमेंट 3 कमेंट
  • अल-किंदी जो हैं क्रिप्टोग्राफी, कोड ब्रेकिंग और अरब दर्शन के संस्थापक। says:

    […] इस्लामी स्वर्ण युग (8वीं से 13वीं शताब्दी) के दौरान बैत […]

    Log in to Reply
  • अल-जाहिज़ जिन्होंने डार्विन से 1000 साल पहले ही विकास का सिद्धांत और प्राकृतिक चयन के बारे में लिख says:

    […] ‘अल-जाहिज़’ (Al-Jahiz) के नाम से जानती है, इस्लामी स्वर्ण युग के सबसे प्रमुख विद्वानों में से एक […]

    Log in to Reply
  • नासिर अल-दीन तुसी: मध्ययुगीन विद्वान की प्रेरणादायक कहानी और बगदाद की घेराबंदी के बाद पुस्तकों क says:

    […] महत्वपूर्ण योगदान दिया। 13वीं सदी के इस्लामी स्वर्ण युग के दौरान, तुसी ने न केवल वैज्ञानिक […]

    Log in to Reply

कमेंट करें! Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

हमें फॉलो करें >>

FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
YoutubeSubscribe

सबसे अधिक पढ़ी गईं >>

shahad-quran-madhumakkhi-science

वैज्ञानिकों ने मधुमक्खी के बारे में जो खोज अब किया वह कुरान में 1400 साल पहले ही लिख दी गई थी।

एо अहमद
8 मिनट में पढ़ें
17 लोगों ने देखा

शेख अब्दुल हक देहलवी: मध्यकालीन भारत के महान सूफी विद्वान और साहित्यकार

एо अहमद
15 मिनट में पढ़ें
23 लोगों ने देखा

जिज्ञासु यात्री अल-मसूदी: इतिहास और भूगोल का चमकता सितारा

एо अहमद
14 मिनट में पढ़ें
22 लोगों ने देखा

मौलाना शौकत अली: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक और एकता के प्रतीक

एо अहमद
18 मिनट में पढ़ें
6 लोगों ने देखा

सिराजुद्दौला: बंगाल का अंतिम स्वतंत्र नवाब, जीवन, कार्य और प्लासी की लड़ाई

एо अहमद
12 मिनट में पढ़ें
7 लोगों ने देखा

नासिर अल-दीन तुसी: मध्ययुगीन विद्वान की प्रेरणादायक कहानी और बगदाद की घेराबंदी के बाद पुस्तकों का संरक्षक

एо अहमद
13 मिनट में पढ़ें
17 लोगों ने देखा

अल-इद्रीसी: मध्यकालीन विश्व का महान भूगोलवेत्ता और उनकी रोमांचक कहानियां

एо अहमद
12 मिनट में पढ़ें
17 लोगों ने देखा

सच में होता है टाइम ट्रैवल, क्या भविष्य से आ सकता है पृथ्वी पर कोई इंसान? जानिए क्या कहता है साइंस।

एо अहमद
6 मिनट में पढ़ें
5 लोगों ने देखा

हज के बारे में पांच ख़ास बातें जो शायद आपको ना पता हों।

एо अहमद
9 मिनट में पढ़ें
85 लोगों ने देखा

अपनी याददाश्त को बेहतर बनाएँ: 11 आसान और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित तरीकों से।

एо अहमद
5 मिनट में पढ़ें
27 लोगों ने देखा
Avatar
Daily Hadith
Today at 12:00 PM

सम्बंधित टॉपिक >>

औरंगज़ेब की ज़िंदगी के आख़िरी 27 साल: क़रीबियों की मौत, वारिस का संकट और क़िलों की जंग

एо अहमद
13 मिनट में पढ़ें
1 View

भगत सिंह को सजा से बचाने की कोशिश करने वाले वे मुसलमान जिन्हे भुला दिया गया

एо अहमद
3 मिनट में पढ़ें
5 लोगों ने देखा
Ibn Battuta

इब्न बतूता: मध्यकालीन दुनिया का सबसे बड़ा घुमक्कड़ – एक रोमांचक यात्रा वृत्तांत

एо अहमद
13 मिनट में पढ़ें
23 लोगों ने देखा

कौन हैं अब्दुल्ला खान भट्टी उर्फ दुल्ला भट्टी? और उनकी याद में लोहड़ी क्यों मनाया जाता है?

जुबेर खान 'अकेला'
4 मिनट में पढ़ें
1.6k लोगों ने देखा

महत्वपूर्ण लिंक्स

  • सहेजी गई पोस्ट
  • आपके लिए
  • पढ़े गए पोस्ट
  • पसंदीदा टॉपिक्स
  • मेरी प्रोफाइल
  • हमारे बारे में
  • हमारी सहायता करें
  • हमे विज्ञापन दें
  • भविष्य योजना
  • साइट के लेखक
  • संपर्क करें
  • गोपनीयता नीति
  • अस्वीकरण
  • सेवा की शर्तें
  • सुधार नीति

All content © NoorPost


adbanner
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

क्या पासवर्ड भूल गए?

Not a member? Sign Up
हमसे जुड़े रहने और लगातार नोटिफिकेशन पाने के लिए नोटिफिकेशन ऑन करें Ok No thanks