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> मजहब > क्या है शब-ए-बारात की फजीलत?

क्या है शब-ए-बारात की फजीलत?

एо अहमद
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एо अहमद
लेखकएо अहमद
Founder and Editor
मैं आफताब अहमद इस साइट पर एक लेखक हूं, मुझे विभिन्न शैलियों और विषयों पर लिखना पसंद है। मुझे ऐसा निबंध और ब्लॉग लिखना अच्छा लगता...
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Published: 22/06/2025
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7 मिनट में पढ़ें

शब-ए-बारात का मतलब बरी होने की रात है, जहाँ शब का अर्थ ‘रात’ होता है और बारात का मतलब ‘बरी’ होना होता है। यह रात बहुत फजीलत वाली रात होती है। क्यों कि इस रात आप अल्लाह से तौबा और दुआ करके सभी गुनाहों से बरी हो सकतें हैं।

अबू नुसैर बिन सईद रजिअल्लाह तआला अन्हू फर्मातें हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कहा,

“13 वें शाबान पर, जिब्रील अलैहिस्सलाम मेरे पास आए और कहा, ‘हे मुहम्मद उठो, यह तहज्जुद का समय है, अपने उम्मा की ओर से दुआ करो।” नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उठे और वैसा ही किया।भोर के समय, जिब्रील अलैहिस्सलाम ने उतर कर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ख़ुशखबरी दी कि “अल्लाह ने आपके उम्मत के एक तिहाई को माफ कर दिया है।” यह सुनकर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने रोते हुए कहा, “ओ जिब्रील अलैहिस्सलाम, मुझे बाकी दो तिहाई के बारे में बताओ, उनका क्या होगा?” जिब्रील अलैहिस्सलाम ने जवाब दिया, “मुझे उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है।”

अगली रात, जिब्रील अलैहिस्सलाम फिर से प्रकट हुए और एक बार और नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बुलाने और दुआ करने के लिए प्रेरित किया, जैसा कि उन्होंने पिछली रात को किया था। एक बार फिर, सुबह के समय, जिब्रील अलैहिस्सलाम ने उतर कर नबी को सूचित किया कि अल्लाह ने उम्माह के दो तिहाई हिस्से को माफ़ कर दिया है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फिर रोते हुए कहा, “मुझे बाकी के तीसरे के बारे में बताएं।” जिब्रील अलैहिस्सलाम ने जवाब दिया, “मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।”

फिर जब यह शाबान की 15 वीं रात थी, शब-ए-बारात की रात जिब्रील अलैहिस्सलाम ने नबी को ख़ुशी-ख़ुशी ख़बर दी कि पूरे उम्माह को माफ़ कर दिया गया है, बशर्ते कि वे अल्लाह और उसके गुणों में किसी को भागीदार न बनाएँ (यानी शिर्क न करे)। जिब्रील अलैहिस्सलाम ने तब कहा, “हे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपना सिर आसमान की ओर करके देखें, आप को क्या दिखता है?” जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ऊपर देखा, तो उन्होंने देखा कि आसमान के सभी दरवाजे खुले थे और पहले आसमान से अर्श तक के सभी फ़रिश्ते अल्लाह के सजदे में थे, सभी नबी के उम्माह के लिए मगफिरत कि दुआ मांग रहे थे। हर आसमान के द्वार पर एक फ़रिश्ता घोषणा कर रहा था:

  • पहले आसमान में एक फ़रिश्ता घोषणा करता है कि, “इस रात को रुकु करने वालों के लिए ख़ुशखबरी है।”
  • दूसरे आसमान में एक फ़रिश्ता घोषणा करता है कि, “जो इस रात को सजदाह करता है, उसके लिए ख़ुशी की बात है।”
  • तीसरे आसमान में एक फ़रिश्ता घोषणा करता है कि, “इस रात को जो लोग जिक्र करते हैं, उनके लिए ख़ुशी की बात है।”
  • चौथे आसमान में एक फ़रिश्ता घोषणा करता है कि, “बसारत उस के लिए जो अपने रब्ब से दुआ मांगते है।”
  • पांचवें आसमान में एक फ़रिश्ता घोषणा करता है कि, “उस के लिए ख़ुशी की बात है जो इस रात को الله के डर से रोता है।”
  • छठे आसमान में एक फ़रिश्ता घोषणा करता है कि,, “इस रात को अच्छाई और पुण्य का कार्य करने वाले के लिए ख़ुशी की बात है।”
  • सातवें आसमान में एक फ़रिश्ता घोषणा करता है कि, “इस रात को कुरान पढ़ने वालों के लिए ख़ुशी की बात है।” तब इसी फ़रिश्ते ने घोषणा की, “क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो कुछ भी मांग रहा है, ताकि उसे इसे प्रदान किया जा सके?क्या कोई ऐसा है जो कोई दुआ मांग रहा है ताकि उसके पूरा किया जा सके? क्या कोई पश्चाताप (तौबा) करने वाला है ताकि उसका पश्चाताप स्वीकार किया जा सके? “

( साभार = दुर्रतुन नसीहीन )

इस तरह से इस रात को आका हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने रो-रो कर सारे उम्मात के लिए मगफिरत करा लिया। हर शब-ए-बारात को सातों आसमान के दरवाजे खुल जाते हैं। अल्लाह तआला सबसे नीचे वाले आसमान पर आ जाते हैं, फरिस्तें मुनादी करते हैं कि है कोई मांगने वाला या तौबा करने वाला। आका हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस रात को जायदा से ज्यादा इबादत करने को कहा है।

शब-ए-बारात में लोग क्यों जातें हैं कब्रों पर?

मुस्लिम शरीफ़ कि एक हदीस से महफ़ूम है ” हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहो अन्हा का इरशाद है कि प्यारे नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम इस रात जन्नत-उल-बकी ज़रुर जाते और मुर्दों के लिये अल्लाह तआला से दुआ करते (मुस्लिम शरीफ़ पेज ३१३ जिल्द ३)। इस लिए लोग कब्रिस्तान जाकर अपने से दूर हो चुके लोगों की कब्रों पर जाकर उनकी मगफिरत के लिए दुआ करतें हैं।

मुसलमानों के लिए यह रात एक बहुत अच्छा माैका है, इस रात सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करके, गुनाहों की तौबा करके, अल्लाह से रो कर कोरोना जैसी आजाब हटाने की दुआ करें, सारे उम्मत के लिए दुआ करें। इंशाल्लाह सभी दुवाएं कबूल होंगी।

नोट – इस बार शब-ए-बारात में शासन प्रशासन की तरफ से मस्जिद और कब्रिस्तान जाने की इजाज़त नहीं है। इसमें कोई बुराई नहीं है कई हदीस से साबित है कि जहां कोई बीमारी फैली हो वहां ना जाएं और ना वहां से कोई बाहर आए। इसलिए सभी लोग अपने अपने घरों में ही इबादत करें।

अगर आप के मन में कोई और सवाल हो तो नीचे कमेन्ट में जरूर बताएं। इस मैसेज को जायदा से जायदा शेयर करें। अगर किसी ने भी इस मैसेज पर अमल कर लिया तो इसका सावाबे आप को भी मिलेगा।

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